Technical Analysis in Hindi | टेक्निकल एनालिसिस क्या है?
हेलो दोस्तों, स्वागत है आपका क नए पोस्ट में,आजके पोस्ट में हम समझेंगे की Technical Analysis क्या है और Technical Analysis कैसे करे।
Technical Analysis in Hindi: जो लोग शेयर बाजार में निवेश करते हैं या ट्रेडिंग करते हैं उनके लिए Technical Analysis सीखना बहुत जरूरी है। टेक्निकल एनालिसिस के द्वारा आप किसी भी स्टॉक की कीमत ऊपर या नीचे जाने वाली है उसका अंदाजा लगा सकते है।
अगर आप बिना टेक्निकल एनालिसिस के ट्रेडिंग करते हैं तो आपको मुनाफे की बजाए नुकसान भी हो सकता है।
लेकिन वहीं दूसरी तरफ जो सफल निवेशक है वह चार्ट पेटर्न को अच्छे से समझता है, स्टॉक के मूवमेंट को समज़ते है,उसका वॉल्यूम चेक करते है,अलग-अलग इंडिकेटर्स का इस्तेमाल करते है, स्टॉक के हिस्टोरिकल प्राइस के डाटा का एनालिसिस करते है,सपोर्ट और रेजिस्टेंस देखते है।
अगर आप भी इन सब बातों को अच्छे से समझके निवेश या ट्रेडिंग करेंगे तो आप भी शेयर बाजार से मुनाफा कमा सकते है।
टेक्निकल एनालिसिस मुख्य काम स्टॉक में ट्रेड के सही अवसर को तलाशना होता है ताकि उस शेयर में सही समय पर entry और exit करके पैसा कमा सकें।आज मैं इस पोस्ट के माद्यम से मैं आपको Technical Analysis क्या है Technical Analysis कितने प्रकार के होते इस बारे में जानकारी प्रदान करूँगा।
Technical Analysis एक ऐसा तरीका है जिसके द्वारा हम किसी भी स्टॉक या इंडेक्स के चार्ट के पुराने डेटा को देखकर उसके कीमत का भविष्य में ऊपर या नीचे जाने का अनुमान लगाते हैं। शेयर मार्केट में स्टॉक के चार्ट को पढ़ने की प्रक्रिया को ही Technical Analysis कहते हैं।
Technical Analysis स्टॉक के histry के डेटा के आधार पर काम करता है। Stock के चार्ट पर जो पैटर्न बनते हैं उन्हें देखकर पता चलता है कि शेयर कब खरीदना और बेचना चाहिए।
टेक्निकल एनालिसिस का सरल अर्थ है की यह एनालिसिस एक रूप है जो निवेशक या ट्रेडर को शेयर के प्राइस के मूवमेंट को समजने मे मदद करता है। इसका उपयोग आप सभी प्रकार के ट्रेड साधनों मे जिसे की कमोडिटी,फोरेक्स ट्रेडिंग, डेरिवेटिव्स जैसे अन्य जगह पर कर सकते है।
इसके अलावा किसी स्टॉक में कब और किस लेवल पर entry लेनी चाहिए और किस level पर exit करना चाहिए यह सब आपको Technical analysis के द्वारा ही पता चलता है।
टेक्निकल एनालिसिस का काम क्या है?
Technical Analysis करने से आपको यह समज़मे अत है की किसी स्टॉक का प्राइस किस तरह से move करता है।
इसके लिए आपको बाजार का ट्रेंड पता होना आवश्यक है। चार्ट पर आपको तीन तरह के ट्रेंड दिखते हैं-
1) अपट्रेंड (जब मार्केट की दिशा ऊपर की ओर होती है),
2) डाउनट्रेंड (जब मार्केट की दिशा नीचे की और होती है)
3) साइडवेज़ ( जब मार्केट एक ही रेंज में ऊपर नीचे होता रहता है इसे साइडवेज़ मार्केट भी कहते हैं)
अगर आपको शेयर बाजार से मुनाफा कामना है और नुकसान से बचना है तो कभी भी बाजार के ट्रेंड के विपरीत ट्रेडिंग नहीं करनी चाहिए। कुछ लोग trend reversal अर्थात trend के विपरीत जाकर भी आप ट्रेड कर सकते है उसके लिए आपको ट्रेडिंग के सभी chart patterns के बारे में पता होना जरूरी है।
टेक्निकल एनालिसिस का मुख्य उपयोग यह पता लगाने में काम आता है कि-
स्टॉक का प्राइस कब ऊपर जाएगा और कब नीचे,
कब entry लेनी है और कब exit करना है,
टारगेट और स्टॉप लॉस क्या होंगे,
सपोर्ट और रेजिस्टेंस लेवल क्या होंगे,
खरीदी गई पोजीशन को कब तक होल्ड करना है,
शेयर प्राइस का मोमेंटम क्या है,
चार्ट पर कब ब्रेकआउट और कब ब्रेकडाउन होने वाला है।
Technical Analysis में इन सभी चीजों के बारे में पता चलता है लेकिन टेक्निकल एनालिसिस में उपयोग होने वाले हर एक basic चीज को आप समझना होगा।
टेक्निकल एनालिसिस में क्या-क्या आता है?
टेक्निकल एनालिसिस करने के लिए आपको उसके बेसिक्स का पता होना जरुरी है जैसे; ट्रेडिंग वॉल्यूम, चार्ट पेटर्न, मोवमेंटम , कैंडल्स, ट्रेंडलाइन, इंडिकेटर्स आदि।
1) Trading Volume
वॉल्यूम का मतलब होता है की शेयर की संख्या अर्थात किसी निश्चित समय में एक स्टॉक में कितने शेयर को खरीदा और बेचा गया है उसे ट्रेडिंग वॉल्यूम कहते हैं।
ट्रेडिंग वॉल्यूम किसी भी अवधि का हो सकता है चाहे वह 1 दिन का हो या 1 मिनट का वॉल्यूम ही क्यों ना हो।
वॉल्यूम का उपयोग आप किसी स्टॉक का मोवमेंटम पता करने में कर सकते है। इससे आपको पता चलता है कि स्टॉक की प्राइस धीरे-धीरे करके ऊपर जाएगा या फिर बहुत तेजी से ऊपर जाएगा।
मतलब जिस स्टॉक का वॉल्यूम जितना ज्यादा है उसका मोमेंटम उतना अधिक होगा चाहे वह ऊपर (buy) की ओर हो या नीचे (sell) की ओर।
किसी शेयर में कितनी लिक्विडिटी है,और शेयर में कितना कारोबार हुआ है, इसके अलावा ट्रेंड की ताकत का पता चलता है।
वॉल्यूम को हमेशा चार्ट के नीचे की तरफ हरी और लाल रेखाओं के द्वारा दर्शाया जाता है। अगर लाल रेखाएं ज्यादा है तो इसका मतलब है कि मार्केट में sellers ज्यादा हैं प्राइस ऊपर जा सकता है और अगर हरी रेखाएं ज्यादा है तो इसका मतलब है कि मार्केट में buyers ज्यादा हैं इसीलिए प्राइस नीचे जाने की संभावना ज्यादा है।
2) कैंडल्स
टेक्निकल एनालिसिस में कैंडल्स को समझना बहुत जरूरी है क्योंकि candles के द्वारा ही चार्ट बनते हैं। कैंडल्स दो प्रकार की होती है;
Red candle
Green candle
चार्ट पर ग्रीन कैंडल का मतलब है कि मार्केट बुलिश है अर्थात बाजार में तेजी आने के संकेत है। और चार्ट पर रेड कैंडल का मतलब है मार्केट बेयरिश है और आज मार्केट में गिरावट आ सकती हैं।
हर एक candle दो चीजों से मिलकर बनी होती है– बॉडी और विक।
Candle की बॉडी आपको लाल या हरे रंग का दिखाई देती है जबकि विक वह हिस्सा होता है जो कैंडल के ऊपर नीचे निकली हुई रेखा के रूप में दिखाई देती है।
कैंडल के कई प्रकर होते है आपने चार्ट पर देखा होगा कि;
कोई कैंडल बड़ी तो कोई कैंडल छोटी होती है, किसी कैंडल की बॉडी बहुत बड़ी होती है और विक बहुत छोटी जबकि किसी कैंडल की विक बहुत बड़ी होती है और बॉडी बहुत छोटी, किसी कैंडल की विक नीचे की तरफ बहुत बड़ी रहती है तो किसी कैंडल की ऊपर की ओर।
कैंडल के प्रकार के बारे में किसी अन्य पोस्ट में विस्तार से बात करेंगे। अभी के लिए बस इतना समझ लें कि तकनीकी विश्लेषण में कैंडल का महत्व बहुत ज्यादा है।
आपको चार्ट पर 1 मिनट, 5 मिनट, 15 मिनट, daily या weekly चार्ट ही क्यों ना हो सभी पर आपको अलग-अलग कैंडल्स बनते हुए दिखाई देगी।
चार्ट पर कैंडल देखते समय आपको 4 चीजों को देखना पड़ता है– High, Low, Open, Close
High: कैंडल का जो सबसे ऊपरी हिस्सा होता है वह high कहलाता है। कैंडल का हाई देखने से आपको पता चलता है कि प्राइस किसी टाइम फ्रेम पर यहां तक टच किया था।
Low: कैंडल का जो सबसे निचला हिस्सा होता है वह low कहलाता है। कैंडल का लो देखने से आपको पता चलता है कि प्राइस किसी टाइम फ्रेम पर यहां तक टच था।
Open: जहा से कैंडल बनना शुरू होता है।
Close: जहा पर कैंडल का अंत होता है। इसके बाद अगला कैंडल बनने की शुरुआत होती है।
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3) सपोर्ट और रेसिस्टेंट
- Support: जब किसी शेयर की कीमत किसी एक लेवल पर आकर दो या दो से अधिक बार ऊपर जाती है तो उसे support कहा जाता है।
- Resistance: जब किसी शेयर की कीमत दो या दो से अधिक बार किसी निश्चित प्राइस लेवल को छूकर नीचे जाती है तो उसे Resistance कहा जाता है।
4)ट्रेंडलाइन
जब आप किसी चार्ट पर टेक्निकल एनालिसिस करते हैं तो हमें ट्रेंडलाइन draw करने की जरूरत होती है। दो तरह की trendline होती हैं–
Horizontal और Vertical
ट्रेंडलाइन का उपयोग यह सभी चीजें पता करने में किया जाता है–
चार्ट पर सपोर्ट और रेजिस्टेंस समझने के लिए,
प्राइस कितना ऊपर या नीचे जा सकता है,
किस जोन से ब्रेकआउट और ब्रेकडाउन हो सकता है,
अलग-अलग Chart पेटर्न्स को पहचानने में ट्रेंडलाइन का उपयोग किया जाता है।
5) इंडिकेटर्स-
टेक्निकल एनालिसिस में प्राइस मूवमेंट का अनुमान लगाने के लिए आप बहुत सरे इंडिकेटर्स यूज़ कर सकते हैं। जो आपको किसी स्टॉक में कहां पर प्रवेश करना है और कहां पर बाहर निकलना है यह भी बताते हैं।
शेयर मार्केट में सबसे ज्यादा पॉपुलर और सबसे ज्यादा उपयोग किया जाने वाला इंडिकेटर Supar Trend है। जो आपको buy और sell को दर्शाता है। साथ ही बहुत सारे लोग RSI इंडिकेटर का भी इस्तेमाल करते है। इसके अलावा मूविंग एवरेज, बोलिंगर बैंड और MACD भी काफी ज्यादा प्रयोग में लाए जाने वाले इंडिकेटर्स है।
स्टॉक का Technical Analysis कैसे करें?
कैंडलस्टिक पैटर्न्स देखें
कैंडलस्टिक पेटर्न बहुत सारे होते हैं लेकिन यहां पर हम कुछ जरूरी कैंडलेस्टिक पेटर्न के बारे में बात करने वाले हैं–
हैमर पैटर्न
बुलिश इंगल्फिंग पैटर्न
बेरिश इंगल्फिंग पैटर्न
1) हैमर पैटर्न-
जब आपको चार्ट पर किसी candle की बॉडी बहुत छोटी होती है लेकिन उसकी विक नीचे की ओर बहुत बड़ी होती है तो उसे हम हैमर कैंडल बोलते हैं। जब चार्ट पर हैमर कैंडल दो या दो से अधिक बार बनती है तो उसे हैमर पैटर्न बोला जाता है। इसे pin bar pattern भी कहते हैं।
इस कैंडल की बॉडी पावर को दर्शाती है मतलब अगर बॉडी Green है तो यह bulls की पावर को दर्शाती है और अगर बॉडी Red है तो यह बताती है कि मार्केट में bears हावी हैं।
इसी तरह अगर bearish hammer candle बनती है जिसकी बॉडी लाल होती है और विक ऊपर की ओर बहुत बड़ी होती है वह कैंडल मार्केट में sellers को दर्शाती है।
2) बुलिश इंगल्फिंग पैटर्न
जब भी चार्ट पर कोई ऐसी ग्रीन कैंडल बनती है जिसकी बॉडी बहुत बड़ी होती है तो उसे बुलिश इंगल्फिंग कैंडल कहते है। जब चार्ट पर ऐसी कैंडल दो या दो से अधिक बार बनती है तो उसे बुलिश इंगल्फिंग पैटर्न पैटर्न कहते है।
यह एक ब्रेकआउट पैटर्न है मतलब जब भी हमें चार्ट पर बुलिश इंगल्फिंग पैटर्न दिखे तो आपको buy करना है। क्योंकि यह पैटर्न बताता है कि मार्केट में तेजी आने वाली है।
3)बेरिश इंगल्फिंग पैटर्न
जब भी चार्ट पर कोई ग्रीन और रेड कैंडल बनती है जिसकी बॉडी काफी बड़ी होती है तो उसे बेरिश इंगल्फिंग कैंडल कहते है। जब चार्ट पर ऐसी कैंडल दो या दो से अधिक बार बनती है तो उसे बेरिष इंगल्फिंग पैटर्न कहते है।
यह एक ब्रेकडाउन पैटर्न है मतलब जब भी हमें चार्ट पर बेरिश इंगल्फिंग पैटर्न दिखे तो आपको मंदी का ट्रेड करना है। क्योंकि इस पैटर्न से समजता है कि मार्केट में गिरावट होने वाली है।
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निष्कर्ष-
इस पोस्ट में हमने आपको बताया कि शेयर मार्केट में टेक्निकल एनालिसिस क्या होती है और टेक्निकल एनालिसिस कैसे करते है. हमने कोशिश की है कि आपको technical analysis के बारे में बेसिक्स का पता चल सके।
अगर आप शेयर बाजार में ट्रेडिंग करते हैं तो यह आर्टिकल आपके लिए बहुत उपयोगी रहा होगा।अगर आपका टेक्निकल एनालिसिस से संबंधित कोई सवाल हो तो नीचे कमेंट बॉक्स में जरूर पूछिए।
FAQ-
Q) Technical Analysis की विशेषता क्या है?
Ans- Technical Analysis की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें आपको अलग-अलग कंपनियों पर अलग-अलग तरीके से रिसर्च करने की जरूरत नहीं होती बल्कि एक ही प्रकार की टेक्निकल एनालिसिस प्रत्येक चार्ट पर काम आती है।
Q)टेक्निकल एनालिसिस करने के लिए सबसे अच्छा मोबाइल ऍप कौन सा है?
Ans- Technical Analysis करने के लिए सबसे ज्यादा लोग ट्रेडिंगव्यू वेबसाइट का इस्तेमाल करते हैं इसे आप तकनीकी विश्लेषण का सबसे अच्छा साधन मान सकते हैं।
Q) Technical Analysis में उपयोग किए जाने वाला मुख्य प्रकार के चार्ट क्या हैं?
लाइन चार्ट और कैंडलेस्टिक चार्ट टेक्निकल एनालिसिस में उपयोग किए जाने वाले तीन प्रमुख चार्ट हैं।
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